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मेवाड़ शैली


  • चित्रकला की सर्वाधिक प्राचीन शैली मेवाड़ को विकसित करने में महाराणा कुम्भा का विशेष योगदान रहा।
  • यह चित्र शैली राजस्थानी चित्रकला का प्रारंभिक और मौलिक रूप है।
  • मेवाड़ में आरम्भिक चित्र ‘श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णी’ (सावग पड़ीकमण सुत चुन्नी) ग्रन्थ से 1260 ई. के प्राप्त हुए है। इस ग्रन्थ का चित्रांकन राजा तेजसिंह के समय में हुआ।
  • यह मेवाड़ शैली का सबसे प्राचीन चित्रित ग्रन्थ है। दूसरा ग्रन्थ ‘सुपासनाह चरियम’ (पाश्र्वनाथ चरित्र) 1423 ई. में देलवाड़ा में चित्रित हुआ।
  • केशव की रसिक प्रिया तथा गीत गोविन्द मेवाड़ शैली के प्रमुख उदाहरण है।


प्रमुख विशेषताएँ

  • भित्ति चित्र परम्परा का विशेष महत्व रंग संयोजन की विशेष प्रणाली, मुख्य व्यक्ति अथवा घटना का चित्र, सजीवता और प्रभाव उत्पन्न करने के लिए भवनों का चित्रण, पोथी ग्रंथों का चित्रण आदि।
  • इस शैली में पीले रंग की प्रधानता है। मेवाड़ शैली के चित्रों में प्रमुख कदम्ब के वृक्ष को चित्रित किया गया है।

वेशभूषा
  • सिर पर पगड़ी, कमर में पटका, कानों में मोटी, घेरदार जामा

पुरुष आकृति
  • लम्बी मूछें, बड़ी आँखे, छोटा कपोल व कद, गठीला शरीर

स्त्री आकृति
  • लहंगा व पारदर्शी ओढ़नी, छोटा कद, दोहरी चिबुक, ठुड्डी पर तिल, मछली जैसी आँखे, सरल भावयुक्त चहरा

प्रमुख चित्रकार
  • कृपाराम
  • भेरुराम
  • हीरानंद
  • जगन्नाथ
  • मनोहर
  • कमलचंद
  • नसीरूद्दीन

प्रमुख चित्र
  • रागमाला
  • बारहमासा
  • कृष्ण लीला
  • नायक-नायिका आदि

राणा अमरसिंह प्रथम
  • 1597 से 1620 ई.
  • इनके समय रागमाला के चित्र चावण्ड में निर्मित हुए।
  • इन चित्रों को निसारदीन ने चित्रित किया।
  • इनका शासनकाल मेवाड़ शैली का स्वर्ण युग माना जाता है।

महाराणा अमरसिंह द्वितीय
  • इनके शासनकाल में शिव प्रसन्न अमर-विलास महल मुग़ल शैली में बने जिन्हें आजकल ‘बाड़ी-महल’ माना जाता है।

राणा कर्णसिंह
  • इनके शासनकाल मर्दाना महल व जनाना महल का निर्माण हुआ।

राणा जगतसिंह प्रथम
  • इस काल में रागमाला, रसिक प्रिया, गिगोविंद, रामायण आदि लघु चित्रों का निर्माण हुआ।
  • प्रमुख चित्रकार – साहबदीन व मनोहर
  • जगतसिंह के महल में चितेरों की ओरी नामक कला विद्यालय स्थापित किया गया जिसे तसवीरां रो कारखानों नाम से भी जाना जाता है।
  • महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय के बाद साहित्यिक ग्रंथों के आधार पर लघु चित्रों का समय लगभग समाप्त हो गया।

उदयपुर
  • पराक्रम शैली का विकास
  • राजकीय संग्रालय में मेवाड़ शैली के लघु चित्रों का विशाल भण्डार
  • यहाँ विश्व में मेवाड़ शैली के सबसे चित्र है।
  • इस संग्रालय में रसिक प्रिया का चित्र सबसे प्राचीन है।

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