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जोधपुर शैली (मारवाड़ शैली) Jodhpur style (Marwar style)


  • इस शैली में चित्र राजकीय विषय के ऊपर बनाये गये है।
  • इस शैली में अजंता शैली की परम्परा का निर्वाह किया गया है।
  • समारवाड शैली के पूर्ण विकास का काल 16 वीं से 17 वीं सदी रहा है।
  • यह शैली बाद में मुग़ल शैली सेइतनी से इतना प्रभावित हुई की अपनी सत्ता भी खो दी।
  • मुग़ल शैली के प्रभाव के कारण इसमें विलासिता पूर्ण चित्र भी बनाये गये।
  • यह शैली अंत में सामाजिक जीवन के प्रभाव में भी आई।

राव मालदेव (1531 से 1562 ई.)

  • मारवाड़ की कला एवं संस्कृति का सम्पूर्ण श्रेय इन्हें ही जाता है
  • इससे पूर्व यह शैली मेवाड़ से पूर्णत: प्रभावित थी।
  • इनके समय चोखेलाव महल में मार्शल जैसे चित्र बनाये गये। जिसमे बल्लियों पर राम-रावण युद्ध के बारे में चित्रण किया गया जिसका मूल उद्देश्य पौराणिक गाथाओं का यशोगान करना था।
  • इनके समय मारवाड़ एक स्वतंत्र चित्र शैली के रूप में उभरा

प्रमुख चित्रकारी

  • मूमल निहालदे
  • ढोला मारू
  • कल्याण रागिनी
  • रूपमती बाज बहादुर
  • दरबारी जीवन
  • जंगल में कैंप
  • राजसी ठाठ
  • उत्तराध्यान सूत्र (1591 ई.)
  • मरू के टीले
  • छोटी-छोटी झाड़ियाँ व पौधों के चित्र
  • इस शैली में पीले व लाल रंग की प्रधानता है।

प्रमुख चित्रकार

  • किशनदास भाटी
  • शिवदास भाटी
  • देवदास भाटी
  • वीरजी
  • नारायनदा
  • अमरदास
  • छज्जू भाटी
  • जीतमल
  • काला
  • रामू

इस शैली में आम के वृक्ष, पशु में ऊँट, पक्षी में कौए व आँखों को बादाम के प्रमुख रूप में चित्रित किया गया है।

दी महाराजा ऑफ़ जोधपुर दी गैलेक्सी लिव्स ऑन (The MAHARAJA Of Jodhpur The Galaxy Lives On)

  • निर्माता-निर्देशक – अनु मल्होत्रा
  • इसमें अनु मल्होत्रा ने बप्पा जी के नाम से प्रसिद्ध महाराज गजसिंह द्वितीय के सम्बन्ध में एक वृत चित्र बनाया है।
  • इस चित्र में राजघराने की परम्परा में आ रही गिरावट को दर्शाया गया है।
  • इस चित्र में जोधपुर के महाराज के एक साल के क्रिया कलापों को दर्शाया गया है।
  • इस वृत चित्र को डिस्कवरी चैनल पर प्रमुख दो भागों में दर्शाया गया है।

महाराजा अजीतसिंह

  • मारवाड़ शैली का स्वतंत्र उदय इनके काल में हुआ
  • इनके काल के चित्र सबसे अधिक सुन्दर व प्राणवान चित्र थे।

विजय सिंह

  • इनके काल में मुग़ल शैली का प्रभाव खत्म हो गया।
  • इस काल के चित्र भक्ति व श्रृंगार रस से भरे थे।

महाराजा मानसिंह

  • इन्होने कर्नल टॉड को मारवाड़ का इतिहास लिखने में मदद प्रदान की
  • इस समय तक मारवाड़ शैली अपने अंतिम चरण में थी।  

10 comments:

  1. Yeah... Good
    Thank You 😊🤗

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  2. Ye kam h bohot data aur rh gya

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  3. Dhola maaru chitr rajasthaan ki kis shaili me chitrit hua hai ?

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  4. आप ने बहुत अच्छी जानकारी दिया है इस लेख में परन्तु और भी विस्तार वर्णन के लिए यहाँ से जानकारी मिल सकती है
    https://educationinhindi.com/किशनगढ़-शैली/

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  5. https://educationinhindi.com/किशनगढ़-शैली/

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