जलप्रवाह प्रणाली : नदियाँ व झीलें
- राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है तथा जनसंख्या की दृष्टि से 8 वाँ सबसे बड़ा राज्य है। देश की 5.5% जनसंख्या राजस्थान में निवास करती है किन्तु देश में उपलब्ध जल का मात्र 1% जल ही राजस्थान में उपलब्ध है। राज्य में सबसे अधिक सतही जल चम्बल नदी में उपलब्ध है तथा बनास नदी का जल ग्रहण क्षेत्र सबसे बड़ा है। राज्य की नदियों को 13 जल ग्रहण क्षेत्र एवं 59 उपजल ग्रहण क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। अरावली पर्वत माला राज्य में जल विभाजक का कार्य करती है।
- राजस्थान की
अधिकांश नदियाँ अरावली पर्वत माला से निकल कर पश्चिम अथवा पूर्व की ओर बहती है।
पश्चिम भाग की नदियाँ अरब सागर की ओर जाने वाले ढलान पर बहती हुई या तो खम्भात की
खाड़ी में गिरती है या विस्तृत मरू प्रदेश में विलीन हो जाती है। पूर्व की ओर बहाने
वाली नदिया एक दुसरे से मिलती हुई अन्तत: यमुना नदी में मिल जाती है। प्रदेश के
दक्षिणी पूर्वी भाग में चम्बल तथा उसकी सहायक नदियाँ मुख्य रूप से प्रवाहित होती
है। इनमे से अधिकांश नित्य प्रवाही नदियाँ है जबकि पश्चिमी राजस्थान में लूनी तथा
उसकी सहायक नदियाँ बहती है। इनमे से कोई भी नित्य प्रवाही नदी नहीं है। चम्बल,
लूनी, बनास, माहि, घग्घर, सोम तथा जाखम राजस्थान की प्रमुख नदियाँ है। राज्य की
सर्वाधिक नदियाँ कोटा संभाग में बहती है।
- राजस्थान की अपवाह प्रणाली की मुख्य विशेषता यह है की राज्य के लगभग 60.02% क्षेत्र में आंतरित प्रवाह प्रणाली है जिसका समस्त क्षेत्र लगभग अरावली के पश्चिम में स्थित है। प्रवाह के अनुसार राजस्थान की अपवाह प्रणाली को तीन भागो में बाटा जा सकता है।
2. झीलें (सागर + बांध)
- विश्व का 4% सतही जल – भारत में।
- भारत का 1.04% सतही जल – राजस्थान (झीलें + तालाब + सागर + बांध) में।
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