पत्नी – कोलुमण्ड
(फलौदी, जोधपुर) की राजकुमारी केलमदे (मेनलदे)
केलमदे की मृत्यु
सांप के काटने से हुई जिससे क्रोधित होकर गोगाजी ने अग्नि अनुष्ठान किया। जिसमें
कई सांप जल कर भस्म हो गये फिर साँपों के मुखिया में आकर उनके अनुष्ठान को रोककर
केलमदे को जीवित किया। तभी से गोगाजी नागों के देवता के रूप में पूजे जाते है।
गोगाजी का अपने
मौसेरे भाइयों अर्जन व सुर्जन के साथ जमीन जायदाद को लेकर झगड़ा था। अर्जन-सुर्जन
ने मुस्लिम आक्रान्ताओं (महमूद गजनवी) की मदद से गोगाजी पर आक्रमण कर दिया। गोगाजी
वीरता पूर्वक लड़कर शहीद हुए।
युद्ध करते समय
गोगाजी का सर ददरेवा (चुरू) में गिरा इसलिए इसे शीर्षमेडी (शीषमेडी) तथा धड नोहर
(हनुमानगढ़) में गिरा इसलिए धरमेडी/धुरमेडी व गोगामेडी भी कहते है
बिना सर में ही
गोगाजी को युद्ध करते देख कर महमूद गजनवी ने गोगाजी को जाहिर पीर (प्रत्यक्ष पीर)
कहा।
उत्तर प्रदेश में
गोगाजी के जहर उतारने के कारण जहर पीर/ जाहर पीर भी कहते है
गोगामर्डी का
निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया। गोगामेडी के मुख्य द्वार पर बिस्मिल्लाह लिखा
है तथा इसकी आकृति मकबरेनुमा है।गोगामेडी का वर्तमान स्वरूप बीकानेर के महाराजा
गंगासिंह की देन है प्रतिवर्ष गोगा नवमी (भाद्रपद कृष्ण नवमी) को गोगाजी की याद
में गोगामेडी, हनुमानगढ़ में भव्य मेला भरता है।
गोगाजी की आराधना
में लोग सांकल नृत्य करते है
गोगामेडी में एक
हिन्दू व एक मुस्लिम पुजारी है
प्रतीक चिन्ह
– सर्प
खेजड़ी
के वृक्ष के नीचे गोगाजी का निवास स्थान माना जाता है
‘गोगाजी की
ओल्डी’ नाम से गोगाजी का अन्य पूजा स्थल
–सांचौर (जालौर)
गोगाजी से
सम्बंधित वाद्य यंत्र ‘डेरू’ है
किसान वर्ष के के
बाद खेत जोतने से पहले हल व बैल को गोगाजी के नाम की राखी ‘गोगा राखड़ी’ बांधते है
jai sheri veer goga ji
ReplyDeletejai ho Gogaji maharaj ki
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteJai ho babaji
ReplyDeleteJay gogaji maharaj ki
ReplyDeleteजय हो
ReplyDeletegoga ji.. khud samay the dharti me na ki wo mare the yuth me.. galat likha hai
ReplyDeleteYou wrote wrong 🙆 ok
DeleteRight me ap ki baat se sehamt hu .. ye history bilkul rong hai
Delete.
We smaye the glt afwah ku faila rhe ho
ReplyDeleteBhai galt history mat dalo net par ..
ReplyDeletegood sir
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